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स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों के बाद अस्पतालों में मरीजों की मुसीबतें बढ़ी

स्वास्थ्य मंत्री के दौरों का ठीकरा फूटा चिकित्सकों व मरीजों पर

निजी क्लीनिक व अस्पतालों में जाने को मजबूर हो रहें मरीज


लखनऊ। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक द्वारा अस्पतालों का औचक निरीक्षण करने का सीधा प्रभाव मरीजों पर पड़ गया। मरीजों को स्टेÑचर की सुविधा भले ही सहज हो गई है मगर दवा संबन्धी दिक्कते बढ़ गई हैं। क्योंकि अस्पताल प्रशासकों के निर्देश से, मरीजों को वही दवाएं लिखी जा रही हैं जो अस्पताल में मौजूद हैं, दवाओं के अभाव में मरीजों को संबन्धित बीमारी की सटीक दवा नही मिल रही है। लिहाजा, स्वास्थ्य लाभ न मिलने पर मरीजों को मजबूरी में निजी चिकित्सालयों की शरण लेनी पड़ रही है।

अस्पतालों में मरीजों को न लिखी जा रही न दी जा रही दवाएं

स्वास्थ्य मंत्री ने बीते दिनो 31 मार्च को डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में औचक निरीक्षण किया, इसके बाद मंगलवार को केजीएमयू में गुपचुप तरीके से मरीजों के बीच पहुंच गये। निरीक्षण किया और मरीजों को दवा समेत समस्त आवश्यक सुविधाएं अस्पताल में उपलब्ध कराने के निर्देश हुये। उनके सख्त निर्देश और कार्यवाई से, अस्पताल प्रशासन हरकत में आ गये। स्वास्थ्य महानिदेशक समेत अन्य प्रशासकों ने, अपने अस्पतालों में चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध दवाएं ही लिखी जाये। आवश्यकतानुसार मरीज को बाहर से खरीदी जाने वाली दवा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। वही दूसरा पहलू है कि अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों की सटीक दवाएं उपलब्ध ही नही है। क्योंकि मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन सभी दवाओं की आपूर्ति ही नही हो रही हैं। लिहाजा, मरीजों को जरूरत की सटीक दवा नही मिल रही है। सही दवा न मिलने से मरीज, कुछ दिन सरकारी अस्पताल की दवाएं खाने के बाद शीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए निजी क्लीनिकों में पहुंच रहा है। ज्ञातव्य हो कि अस्पताल में हृदय रोग, आर्थोपैडिक, त्वचा, नेत्र रोग आदि तमाम बीमारियों की विविध दवाएं उपलब्ध नही हैं। दवाओं के अभाव में मरीजों को अपेक्षानुरूप स्वास्थ्य लाभ नही हो रहा है।

लखनऊ वेयर हाऊस में 300 से ज्यादा दवाओं की रेंज उपलब्ध है : कंचन वर्मा

मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन की निदेशक कंचन वर्मा का कहना है कि प्रत्येक अस्पताल की डिमांड 100 प्रतिशत पूरी की जाती है। अगर बाई चांस कोई दवा नही है तो अस्पताल प्रशासन के पास बजट का 20 प्रतिशत बजट, लोकल परचेज का होता है, उन्हें दवा खरीद कर मरीजों को उपलब्ध करानी चाहिये। उन्होंने कहा कि लखनऊ के वेयर हाऊस में सभी दवाएं ,करीब 300 से ज्यादा प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें जरूरत है वे जाकर लेते क्यों नही हैं।

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