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राजनैतिक वातावरण, समाज को तोड़ने का काम कर रहा : डा. रामेश्वर दास

लखनऊ। राजनीति ही सब कुछ नहीं होती। संतों की ज्ञान व तपस्या से राजतंत्र डरता है। बड़ी-बड़ी राजनैतिक सत्ताओं को खत्म होने में समय नहीं लगता। संतों ने सामाजिक क्रान्ति लाई और सबको समानता का संदेश देकर समाज को जोड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि वामपंथी साहित्यकारों ने समाज में भ्रम फैलाने का काम किया। संत रविदास के शिष्य सभी जातियों में थे। यह बात गुरुवार को ‘संत रविदास एवं सामाजिक समरसता ’ विषयक संगोष्ठी में महामंडलेश्वार डॉ.रामेश्वर दास ने कही

संतों की कोई जाति नहीं होती

रविदास की जयंती के अगले दिन नाका स्थित जगत कुटी आश्रम में महापुरुष स्मृति समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी में संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण कर, महामंडलेश्वर ने कहा कि संत रविदास ने अस्पृश्यता जैसी कुरीति को समाज से दूर करने का काम किया। संत रविदास ने कहा था जाति-पांत पूछे नहीं ?कोई हरि को भजै सो हरि का होई। उन्होंने कहा कि संत व महापुरूषों की तुलना ? नहीं की जाती। संतों की कोई जाति नहीं होती और संतों को जाति के आधार पर नहीं देखना चाहिए।

राजनैतिक वातावरण समाज को तोड़ने का काम कर रहा

स्वामी मुरारी दास ने कहा कि वर्तमान में राजनैतिक वातावरण समाज को तोड़ने का काम कर रहा है। संत रविदास सर्व समाज के थे। यह कहना ठीक नहीं कि संत रविदास केवल एक जाति विशेष के संत थे। बताया कि मेवाड़ राजघराने की देश में बड़ी प्रतिष्ठा थी। और मेवाड़ की महारानी झालीबाई और उनकी पुत्रवधू मीराबाई उनकी शिष्या थीं। संगोष्ठी के आयोजक एवं महापुरूष स्मृति समिति के अध्यक्ष भारत सिंह ने कहा कि संत रविदास के जीवन से हम सभी को लोग प्रेरणा लेंनी चाहिये। महापुरूष स्मृति समित ऐसे महापुरूषों को उभारकर लाने का काम करती है जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए काम किया। कार्यक्रम संचालक,सामाजिक समरसता विभाग प्रान्त प्रचार प्रमुख बृजनन्दन राजू ने कहा कि संत रविदास धर्मान्तरण के घोर विरोधी थे। हिन्दू धर्म छोड़कर जा चुके लोगों का वापस हिन्दू धर्म में वापसी भी कराई थी।

विचार रखे

इस अवसर पर आशीष मौर्य, हेमंत कृष्ण, अनूप मिश्रा, संतोष कुमार सिंह, उमेश जायसवाल, भास्कर सिंह, एडवोकेट अनुरक्त सिंह, सनी विक्रम सिंह, संदीप, अरुणा सिन्हा, वैग्मीज कम्पनी के शैलेश कुमार श्रीवास्तव, बृजेश श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे।

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