बलवीर गिरि बने बाघंबरी गद्दी मठ के नए महंत, पंच परमेश्वर और महामंडलेश्वरों ने ओढ़ाई चादर
महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी बलवीर पुरी प्रायगराज की बाघंबरी गद्दी मठ के नए महंत बन गए हैं. पंच परमेश्वर और कई अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने उन्हें चादर ओढ़ाई और तिलक कर आशीर्वाद दिया.
नए महंत बलवीर पुरी महाराज
चादर विधि संपन्न होने के बाद बलवीर पुरी सबसे पहले अपने गुरु नरेंद्र गिरि की समाधि पर गए और उनका आशीर्वाद लिया. महंत बलवीर को बाघंबरी गद्दी के साथ ही लेटे हनुमान मंदिर की जिम्मेदारी भी मिल गई है. इसके बाद निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत को ज्यादा तूल न दिया जाए. अभी तक की जांच में ये साबित हो गया है कि नरेंद्र गिरि ने आत्माहत्या की है. अब नए महंत बलवीर पुरी महाराज हैं तो उन्हें अपना समर्थन और आशीर्वाद दें. आज से ये मठ बलवीर पुरी के हवाले है. मुझे उम्मीद है कि वे मठ की गरिमा और वैभव को बनाए रखेंगे.
रवींद्र पुरी ने आगे कहा कि जब किसी अखाड़े का नया उत्तराधिकारी घोषित किया जाता है, तो उसे चादर विधि से महंत बनाया जाता है. हमारे अखाड़ों की यही परंपरा रही है. जिस दिन अखाड़े के महंत की षोडशी होती है, उसी दिन नए महंत की चादर विधि भी करते हैं.
नरेंद्र गिरि की थी इच्छा
बतादें कि महंत नरेंद्र गिरि की आखिरी इच्छा थी कि उनकी षोडशी के दिन ही बलवीर पुरी को बाघंबरी गद्दी मठ का नया महंत बनाया जाए. इसी वजह से उनकी मौत के ठीक 10 दिन बाद 30 अगस्त को हुई पंच परमेश्वर की बैठक में बिल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत बलवीर पुरी को बाघंबरी गद्दी का महंत घोषित किया गया था. और तय किया गया था कि 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरि की षोडशी के दिन उनकी चादर विधि होगी.
आनंद गिरि की कहानी
आनंद गिरि की कहानी वर्ष 2000 से शुरू हुई थी. जब पहली बार नरेंद्र गिरि के शिष्य बने राजस्थान के भीलवाड़ा निवासी अशोक कुमार चोटिया निरंजनी अखाड़े में संन्यास दीक्षा ग्रहण करने के बाद आनंद गिरि बनकर उनकी सेवा में लग गए थे. धीरे धीरे महंत नरेंद्र गिरि का दिल जीतने में वो कामयाब हो गए थे. इसी वजह से वर्ष 2011 में महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए आनंद के नाम वसीयत कर दी थी.
लेकिन कुंभ-2019 के दौरान आस्ट्रेलिया में दो विदेशी महिलाओं से अभद्रता के आरोप में आनंद गिरि की गिरफ्तारी ने गुरु-शिष्य के रिश्ते की जड़ों में कमजोर कर दिया और बदनामी की वजह से ये दूरियां महंत के दिल तक बन गईं. इसके बाद चार जून 2020 को महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि के हक में की गई वसीयत को निरस्त करते हुए बलवीर गिरि के नाम दूसरी वसीयत कर दी थी.