पंजाब कांग्रेस के सियासी घमासान के बाद एक और बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है. कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें बिहार में अपना चेहरा बनाएगी.
केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला ने दिलाई सदस्यता
कन्हैया कुमार ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. हालाँकि जिग्नेश मेवानी अभी कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि वे वैचारिक रूप से कांग्रेस के साथ हैं. देशभर में कांग्रेस के लिए काम करेंगे. इस दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी मौजूद रहे. माना जा रहा है कि कई राज्यों में बागियों से परेशान कांग्रेस अब युवाओं पर दांव खेल रही है.
ये आवाज और मजबूत होगी
दरअसल, राहुल गांधी इन दिनों चुनावी रणनीतिकार प्रयाांत किशोर की सलाह पर युवा नेताओं की नई टीम बना रहे हैं. कन्हैया को भी इसी टीम में रखा गया है. कांग्रेस कन्हैया का उपयोग उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भी करेगी. सदस्य्ता दिलाने के बाद सुरजेवाला ने कहा कि आज हम सब के लिए विशेष दिन है. इस मंच पर दो नौजवान बैठे हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. इन्होंने लगातार मोदी सरकार और हिटलरशाही जो इस देश में चल रही है, उससे अपने तरीके से व्यापक संघर्ष किया है. ये आवाज और मजबूत होगी, जब ये आवाज राहुल गांधी की आवाज से मिलकर एक और एक 11 हो जाएगी.
कन्हैया कुमार ने की कांग्रेस की तारीफ
कन्हैया कुमार ने कहा इस देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा. हम कांग्रेस पार्टी में इसलिए शामिल हुए हैं क्योंकि कांग्रेस गांधी की विरासत को लेकर आगे चलेगी. मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच हैं. कांग्रेस वो पार्टी है जो गांधी, नेहरू, भगतसिंह, मौलाना आजाद के विचारों को आगे लेकर चलती है. ये देश की सबसे पुरानी पार्टी है. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को नहीं बचाया गया तो छोटी-छोटी कश्तियां भी नहीं बचेंगी.
कन्हैया को लाने में प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका
वैसे कन्हैया को कांग्रेस में लाने में बिहार के विधायक शकील अहमद की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ आंदोलन के दौरान दोनों नेताओं को साथ घूमते देखा जाता था. कन्हैया को राहुल गांधी तक पहुंचाने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी बड़ी भूमिका रही है. कन्हैया ने प्रशांत किशोर के साथ दो बार राहुल गांधी से मुलाकात की थी.
सीपीआइ में घटने लगा था कद
सीपीआइ में धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए कन्हैया को अब लगने लगा था कि वहां उनका भविष्य नहीं है. क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव में सीपीआइ ने उन्हें बेगूसराय में BJP के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के खिलाफ खड़ा किया था. उस चुनाव में कन्हैया 4.22 लाख वोटों के बड़े अंतर से हार गए थे. लोकसभा चुनाव में हार के बाद सीपीआइ में कन्हैया का पहले वाला कद नहीं रहा था.