वाह रे स्वास्थ्य विभाग ? अस्पताल में भर्ती कर्मचारी को भी कर दिया निलंबित
लखनऊ। चिकित्सकीय परामर्श को न्यायालय भी नजरअंदाज नही करता है, बडेÞ से बड़ा अपराधी हो या शासकीय पैरवी, अगर मुवक्किल बीमार है और चिकित्सकीय परामर्श न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है तो कार्यवाही टाल दी जाती है। मगर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी हैं, वे कुछ नही समझते हैं। स्वास्थ्य विभाग में निदेशक प्रशासन ने, आजमगढ़ में कार्यरत कनिष्ठ सहायक रमेश चंद्र गौड़ को 19 जुलाई को इसलिए निलंबित कर दिया, क्योंकि उसने स्थानान्तरण होने के बाद नई तैनाती स्थल सुल्तानपुर में ज्वाइन नही किया। जबकि रमेश चंद्र गौड़, स्थानान्तरण सूची आने के 10 दिन पूर्व से बीएचयू में भर्तीं हैं और जिन्दगी और मौत से जूझ रहें हैं। वहीं निदेशक प्रशासन डॉ. राजागणपति का कहना है कि निलंबन प्रक्रिया, स्थानान्तरण नीति के अंतर्गत की जा रही है,रमेश गौड़ अस्पताल में भर्तीं हैं, इसकी जानकारी न उन्हें हैं और न ही उनके कार्यालय को है। अगर एैसी बात थी तो उनके घर के किसी सदस्य को कार्यालय से संपर्क कर,अवगत कराना चाहिये था।
स्वास्थ्य निदेशक ने कर दिया निलंबित
स्वास्थ्य विभाग आजकल, तबादलों को लेकर खूब चर्चा में हैं। डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से लेकर चिकित्सक,कर्मचारी व संगठन नेता तक स्थानान्तरण में शामिल अनियमित्ताओं को लेकर परेशान हैं। बताते चले कि, स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की स्थानान्तरण सूची 1 जुलाई को जारी हुई थी, एक सप्ताह में नवीन तैनाती स्थल पर ज्वानिंग के निर्देश भी थे, चिकित्सक की हो या कर्मचारियों की, अनियमित्ताओं से भरी सूची को लेकर विवाद बढ़ा, मामला स्वास्थ्य मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी तक पहुंच गया, मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर जांच रिपोर्ट के निर्देश दिये। समयावधि व्यतीत होने के साथ जांच रिपोर्ट का पता नही, मगर निदेशक प्रशासन डॉ. राजागणपति द्वारा स्थानान्तरण के बाद नवीन तैनाती स्थल पर ज्वाइन न करने वालो पर निलंबन की कार्यवाई करते हुए 19 जुलाई को निर्देश जारी कर दिये गये। निर्देश में आजमगढ़ के रमेश चंद्र गौड़ को निलंबित कर दिया गया, प्राप्त जानकारी के अनुसार रमेश चंद्र गंभीर बीमारी के चलते बीएचयू में बीते एक माह से ज्यादा समय से भर्ती हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रहें हैं। बावजूद निलंबित कर दिया गया।