बिना छाती खोले, इंटरवेंशनल प्रोसिजर से केजीएमयू में दो मरीजों का जीवन बचाया
लखनऊ। केजीएमयू में इंटरावेंशनल तकनीक द्वारा बिना छाती खोले ,दो मरीजों का जीवन सुरक्षित कर दिया। एक पुरुष मरीज को बनारस से रेफर किया गया था, ब्लड प्रेशर बढ़ने से उसकी मुख्य रक्त वाहिका मध्य से फट गई थी। छाती में ब्लीडिंग भी हुई थी मगर खून का धक्का जमने की वजह से जीवन चल रहा था, मगर खतरा बना था। दूसरी महिला मरीज को खांसी के साथ खून आ रहा था, इसकी एरोटा धमनी में भी गुच्छा बन गया था। दोनो ही मरीजों को समय रहते, पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉ. वेद प्रकाश की निगरानी में डॉ. नितिन अरूण दीक्षित,डॉ.सौरभ कुमार व डॉ. सिद्धार्थ मिश्र समेत पूरी टीम ने इंटरवेंशनल प्रोसिजर द्वारा दोनो ही मरीजों की छाती में स्टंट प्रत्यारोपित करके, भविष्य सुरक्षित कर दिया है।
पैर तक पूरी एरोटा मध्य से फटी थी
डॉ.नितिन दीक्षित ने बताया कि वाराणसी से रेफर होकर आने वाले 45 वर्षीय पुरुष को पेट दर्द व चक्कर आ रहे थे। केजीएमयू में आने के बाद 128 स्लाइस सीटी स्कैन एंजियोग्राफी से एरोटा महाधमनी मध्य से फट चुकी थी, छाती में जहां फटी थी वहां पर ब्लीडिंग भी हुई थी,ब्लीडिंग होने पर खून का धक्का जम गया था, जिसकी वजह से ब्लीडिंग रूक चुकी थी। साथ ही छाती से पैर तक पूरी एरोटा मध्य से फटी थी मगर ब्लीडिंग नही हो रही थी। बीमारी की गंभीरता को समझते हुये तत्काल प्रभाव से इंटरवेंशनल प्रोसिजर का निर्णय लिया गया और पैर से खून ले जाने वाली एरोटा मुख्य धमनी में छाती में पहुंचे और जहां पर खून जमा था वहांं पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया। मुख्य स्थान पर स्टंट पड़ गया, शेष एरोटा स्वंय रिकवर हो जायेगी। यह स्टंट हार्ट में पड़ने वाले स्टंट के मुकाबले लंबा व महंगा होता है।
सीने में दर्द, खूनी खांसी आ रही थी
दूसरे केस 54 वर्षीय महिला की जानकारी देते हुए डॉ.सिद्धार्थ मिश्र ने बताया कि महिला को खूनी खांसी आ रही थी, सीने में दर्द की शिकायत थी। सीटी एंजियोग्राफी में थोरेसिक एओर्टिक एन्यूरिज्म का पता चला। अमूमन ऐसे केसों में ओपन सर्जरी में छाती खोली जाती है। ओपन सर्जरी की गंभीरता को देखते हुए इंटरवेंशनल प्रोसिजर किया गया और जांघ में एरोटा , विभिन्न अंगों तक खून आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनी के रास्ते कैमरा व स्टंट लेकर छाती तक पहुंचे, जहां पर गुब्बारा बना था वहां पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया। जिसके बाद महिला में बीमारी के खतरे को खत्म किया जा सका।
्रप्रोसिजर टीम
इंटरवेंशनल प्रोसिजर करने वाली रेडियोलॉजी टीम में मेजर (डॉ.) नितिन अरुण दीक्षित, डॉ सौरभ कुमार, डॉ सिद्धार्थ मिश्रा, डॉ अनीत परिहार और डॉ मनोज कुमार शामिल थे। साथ ही पल्मोनरी मेडिसिन के डॉ.वेद प्रकाश ने प्री आॅपरेटिव और पोस्ट आपरेटिव में देख•ााल की।