मरीजों और अस्पताल प्रबन्धन में सामन्जस्य स्थापित करता है संचार माध्यम : कुसुम यादव
पीजीआई में संचार कौशल विषयक कार्यशाला संपन्न
लखनऊ। किसी विषय की जानकारी, अपनी जरूरत या अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए शब्दों का प्रयोग करते हैं। इन शब्दों को एक-दूसरे तक पहुंचाने के लिए संचार के कई माध्यम होते हैं। यही माध्यम समाज के प्रत्येक व्यक्ति को एक,दूसरे से जोड़ते भी हैं और आपसी समझ को सुनिश्चित करते हैं। अस्पताल में प्रत्येक मरीज, उसके परिवारीजन और हम अस्पताल कर्मियों में सामन्जस्य भी कुशल संचार से ही स्थापित होता है। यह जानकारी बुधवार को पीजीआई में जनसंपर्क अधिकारी कुसुम यादव ने, संचार कौशल विषय पर आयोजित कार्यशाला में दी।
जितना बेहतर संवाद , विश्वसनीयता उतनी ही अधिक होती है
जनसंपर्क विभाग द्वारा को डॉ. हरगोबिंद खुराना आडिटोरियम में आयोजित कार्यशाला में संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी कुसुम यादव ने संचार के 7 सी की महत्ता बताई, 7 सी अर्थात स्पष्ट,संक्षिप्त, ठोस, सही, सुसंगत, पूर्ण और विनम्रता को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने बताया कि प्रभावी संचार हमारे बीच आपसी समझ को सुनिश्चित करता है जिससे गलतफहमी की संभावना कम हो जाती है। एक पेशेवर परिवेश में, हम जितना बेहतर संवाद करते हैं, हमारे सहयोगियों, कनिष्ठों और वरिष्ठों के साथ हमारी विश्वसनीयता उतनी ही अधिक होती है। संचार की स्पष्टता और संक्षिप्तता और सक्रिय सुनना ऐसे लक्षण हैं जिन्हें अभ्यास के माध्यम से सीखा जा सकता है। खराब संचार और समन्वय की कमी के कारण होने वाले रोगियों और उनके परिचारकों के साथ घर्षण को कम करने के लिए हमारे स्टाफ में अच्छे संचार कौशल विकसित करने की आवश्यकता को दृढ़ता से महसूस किया गया था। कार्यक्रम में पीजीआई निदेशक प्रो.आर के धीमन ने कहा कि संचार में करुणा दिखाना महत्वपूर्ण है क्योंकि करुणा पर्यावरण को अनुकूल बनाने में मदद कर सकती है। एमएस प्रो.वीके पालीवाल ने सुनने के कौशल पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संचार कौशल में सक्रिय सुनना शामिल है, रोगी को सुनते समय रोगी, धैर्यवान और सकारात्मक रहना पड़ता है। कार्यक्रम में ं रिसेप्शनिस्ट, जूनियर रिसेप्शन अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता, नर्सिंग स्टाफ और डेटा एंट्री ने भाग लिया।