पीजीआइ के डॉ.आकाश पंडिता, देश के सर्वश्रेष्ठ युवा शोधार्थी
लखनऊ। पीजीआई में नियोनेटोलॉजी विभाग के शोधार्थी चिकित्सक डॉ. आकाश पंडिता ने, गर्भस्थ व प्रीम्योचोर शिश्ुाओं की तीन गंभीर समस्याओं का समाधान बहुत आसान कर दिया है। उनकी इन खोजों का उपयोग देश-प्रदेश ही नहीं, वरन दुनिया के पीडियाट्रिशियन नवजात शिशुओं के बेहतर इलाज के लिए करेंगे। उनके इन बेहतरीन रिसर्च के लिए आईसीएमआर (इंडियन कांउसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च) द्वारा डॉ. एचबी डिंगले मेमोरियल यंग रिसर्च अवार्ड प्रदान किया गया है। नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में पहली बार उप्र के किसी चिकित्सक को अतिसम्मानित अवार्ड प्राप्त हुआ है। डॉ.आकाश की इस उपलब्धि पर, पीजीआई निदेशक डॉ.आर के धीमन समेत संस्थान के तमाम वरिष्ठ शिक्षकों ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
प्रतिष्ठित शोध,जिनके लिए सम्मानित हुये
डॉ. आकाश पंडिता ने बताया कि तमाम बच्चे होते हैं जो प्रीम्योचोर जन्म लेते हैं, उन्हें सांस लेने मे दिक्कत होती है, इसके लिए सटीक एवं सुरक्षित इलाज हेतु श्योर (सरफैक्टैंट विदाउट इंडोट्रेकियल इंट्यूबेशन) तकनीक विकसित की है, जिसके बाद नवजातों के इलाज में लाफ हुआ है और 30 फीसदी गंभीर शिशुओं का जीवन बचाना आसान हो गया है। इसके अलावा दूसरे शोध में संक्रमण ग्रस्त, प्लेटलेट्स की कमी से युक्त शिशुओं पर आयुर्वेद औषधियों में पपीते के पत्तों का प्रयोग किया गया। पपीते के पत्तों का सिरप तैयार कर दिया गया। सिरप से शिशुओं में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ती है और संक्रमण को हटाना आसान हो गया। इसके अलावा तीसरे शोध की जानकारी देते हुए डॉ.आकाश ने बताया कि गर्भस्थ शिशु के मल विसर्जित कर देने से शिशु के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो जाता है। शिशु को वेंटीलेटर भी लगाना पड़ता है, मगर सीपैप मशीन के द्वारा सांस की समस्या को दूर करना सुलभ हो चुका है।