धांधली के आरोप : चुनाव अधिकारी के बिना घोषित हो गई पीएमएस लखनऊ शाखा कार्यकारिणी
जैसे बिना पंडित शादी, नही हो सकती है वैसे बिना चुनाव अधिकारी के निर्वाचन वैध कैसे ?
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग उप्र के अंतर्गत, लखनऊ शाखा के चुनाव में जमकर धाधंली हुई, घोर धांधली के चलने न केवल मुख्य चुनाव अधिकारी ने पद से इस्तीफा दे दिया, बल्कि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी ने भी आरोप लगाते हुये, चुनाव अधिकारी के इस्तीफे को धांधली की नजीर मानते हुए, चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इसके बावजूद, राज्य स्तरीय चुनाव के चुनाव अधिकारी के हस्ताक्षर से निर्विरोध नई कार्यकारिणी का समय पूर्व ही घोषणा की कर दी गई है। जिसमें इस्तीफा देने वाले चुनाव अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर होने का दावा भी किया गया है। यह चुनाव प्रक्रिया वैसे ही हो गई, बिना पंड़ित और मंत्रोचार के होने वाली शादी हो जाये, एैसी शादी को मान्यता कैसे दी जा सकती है ? जानिए पूरा मामला …
लखनऊ। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के लखनऊ शाखा के चुनाव को निर्विरोध बताकर, मंगलवार को घोषित की गई कार्यकारिणी टीम पर सवालिया निशान लग गये हैं। लोकबन्धु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय के डॉ.रूपेन्द्र श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि चुनाव प्रक्रिया पूरी किये बिना, समय के पहले ही कार्यकारिणी घोषित कर दी गई है। जबकि चुनाव अधिकारी डॉ.श्रीप्रकाश वत्स ने, नामांकन के बाद ही पार्दर्शिता के अभाव में पद से इस्तीफा दे दिया था और अपनी जगह किसी और को नियुक्त करने का आग्रह भी किया था। धांधली के आरोपों की पुष्टि अध्यक्ष पद पर नामांकन करने वाली लोकबन्धु अस्पताल की निदेशिक डॉ.दीपा त्यागी के पत्र में भी है, जिसमें उन्होंने अंकित किया पारदर्शिता के अभाव में, चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो रही हूॅ।
चुनाव प्रक्रिया प्रक्रिया नही पूर्ण हुई
मामला पीएमएस एसोसिएशन का 18 अक्टूबर का है, जब सर्वसम्मति से सचिवालय डिस्पेंसरी के डॉ.श्री प्रकाश वत्स को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त करते हुए आगामी 11 नवम्बर को सीएमओ कार्यालय में चुनाव संपन्न कराने की घोषणा की गई थी। साथ ही चुनाव प्रक्रिया अंतर्गत 27 व 28 अक्टूबर को नामांकन और 6 नवम्बर को मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाना था। 30 अक्टूबर को नामांकन वापसी उपरांत प्रत्याशियों की सूची सार्वजनिक की जानी थी। मगर, यह प्रक्रिया नही पूर्ण हुई।
आरोप लगाते हुए प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया
लोकबन्धु अस्पताल के डॉ.रुपेन्द्र का आरोप है कि नामांकन 28 को शाम 4 बजे तक किया जाना था। मगर, चुनाव अधिकारी समेत पूरी प्रक्रिया को समय पूर्व ही बंद कर दिया गया, पूछने पर स्पष्ट जबाब नही दिया गया। लिहाजा, कई प्रत्याशी नामांकन करने से वंचित रह गये। इसके बाद, चुनाव अधिकारी डॉ.वत्स ने पद से त्याग पद दे दिया और मतदाता सूची भी 6 नवम्बर तक प्रकाशित नही हुई। इसी दौरान अध्यक्ष पद की दावेदार डॉ.दीपा त्यागी ने भी आरोप लगाते हुए प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया। हलांकि बाद में मानमनौवल के बाद धांधली के आरोप हटाकर, प्रशासकीय व्यवस्ता का हवाला देने का कारण, प्रेषित किया।
न्यायालय जायेगा मामला
डॉ.श्रीवास्तव ने कहा कि चुनाव के दौरान उक्त अनियमित्ताओं की शिकायत उन्होंने चिटफंड रजिस्ट्रार कार्यालय में भी किया है साथ ही नियम विरुद्ध कार्यकारिणी घोषित करने को लेकर, न्यायालय में भी गुहार लगाई जायेगी। इस संबन्ध में चुनाव अधिकारी पद से त्यागपत्र देने वाले डॉ.वत्स के हस्ताक्षर, जो कि पूर्व के जारी निर्देश में दूसरे हैं और घोषित कार्यकारिणी में भिन्न हैं, की जानकारी के लिए मोबाइल पर संपर्क किया गया, मगर मोबाइल बंद होने की वजह से संपर्क नही हो सका।
निर्विरोध चयनित कार्यकारिणी पर उठे सवाल