वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की 74वीं सालाना आम बैठक (AGM) को संबोधित किया है. इस दौरान वित्त मंत्री ने कहा आज के समय में बैंकों का बही खाता अधिक साफ सुथरा है ऐसे में बैंक बाजार से पैसा उठा कर सरकार पर बोझ कम कर सकते हैं.
कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं का अभाव
सीतारमण ने कहा कि जिस प्रकार से देश की इकोनॉमी एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है और जिस प्रकार इंडस्ट्री नई चीजों को अपना रहे हैं, उससे कई नई चुनौतियां पैदा हुई हैं. इससे ऐसा लगता है कि भारत को ना सिर्फ ज्यादा संख्या में बल्कि अधिक बड़े बैंकों की जरूरत है. देश के कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं का अभाव है. न जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है.
बैंकों को तेज-तर्रार बनने की जरूरत
सीतारमण ने बैंकों से कहा कि वे अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर करें. बैंकों के पास विकल्प है कि वे ये तय कर सकते हैं कि गली-मोहल्ले में छोटे स्तर के मॉडल के जरिये कहां बैंकिंग मौजूदगी दर्ज कराने की जरूरत है. आज बैंकों का बही-खाता अधिक साफ-सुथरा है. ऐसे में वो बाजार से पैसा उठा सकते हैं, इससे सरकार पर बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन का बोझ कम होगा. बैंकों को तेज-तर्रार बनने की जरूरत है. उन्हें प्रत्येक इकाई की जरूरत को समझना होगा जिससे 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
SBI के आकार के चार या पांच अन्य बैंकों की जरूरत
सीतारमण ने कहा भारत को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के आकार के चार या पांच अन्य बैंकों की जरूरत है. इकोनॉमी और इंडस्ट्री में हाल में आए बदलावों की पृष्ठभूमि में जिस प्रकार से वास्तवकिताएं बदली हैं, उन्हें पूरा करने के लिए हमें बैंकिंग का विस्तार करने की जरूरत है. अगर हम कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों को देखें तो भारत का बैंकिंग सेक्टर काफी यूनिक नजर आता है, जिसने डिजिटलीकरण को सफलतापूर्वक अपनाया है.
कोरोना के समय में बैंकों के विलय के काम को पूरा करना बैंकर्स के लिए बड़ी चुनौती रही है. ये काम ऐसे समय में हुआ था जब बैंक कोरोना महामारी के काल में देश के सुदूर इलाकों के लोगों को मदद पहुंचाने में लगे हुए थे. मैं ये सुनिश्चित करने के लिए बैंककर्मियों की सराहना करती हूं कि विलय से ग्राहकों को किसी तरह की असुविधा नहीं हुई.