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भारत की पहली हाइड्रोजन और हवा से चलने वाली स्वदेशी बस लॉन्च

पहली मेड-इन-इंडिया हाईड्रोजन फ्यूल सेव बस मिल गई है

नई दिल्ली । पेट्रोल और डीजल के विकल्प के लिए प्रयासरत भारत के पहली मेड-इन-इंडिया हाईड्रोजन फ्यूल सेव बस मिल गई है। नई बस केवल हाइड्रोजन और एयर पर चलेगी। इसको लेकर ये भी कहा गया है कि इसका बाय-प्रोडक्ट एनवायरमेंट को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को लॉन्च किया। इस बस को केपीआईटी-सीएसएसआईआर ने पुणे में डेवलप किया है। फ्यूल सेल हाइड्रोजन और एयर को यूटिलाइज करके बस के लिए इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करती है।

नई फ्यूल टेक्नोलॉजी से पॉल्यूशन और इमिशन को कम करने में मदद मिलेगी
इसमें बाय प्रोडक्ट के तौर पर (इमिशन के केस में नहीं) केवल पानी बाहर आता है। इसको लेकर दावा किया गया है कि इससे ग्रीनहाउस गैस का इमिशन भी कम होगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि लगभग 12-14 प्रतिशत सीओ2 और पार्टिकुलेट का इमिशन डीजल से चलने वाले हैवी कमर्शियल गाड़ी से होता है। ये डिसेंट्रलाइज्ड होते हैं जिस वजह से इन्हें कैप्चर करने में दिक्कत आती है।
उदाहरण के तौर पर डीजल से चलने वाली एक बस लंबी दूरी के लिए 100 टन्स सीओ2 सालभर में इमिट करती है। इस तरह की लाखों बस भारत में मौजूद हैं। उन्होंने आगे बताया कि इन नई फ्यूल टेक्नोलॉजी से पॉल्यूशन और इमिशन को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ये ज्यादा पॉकेट-फ्रेंडली भी होंगे। डॉ। जितेंद्र के अनुसार, फ्यूल सेल गाड़ियों की हाई-एफिशियंसी और हाइड्रोजन की हाई डेंसिटी इसमें काफी महत्वपूर्ण है। इससे ये सुनिश्चित होगा कि डीजल से चलने वाली गाड़ी से कम ऑपरेशनल कॉस्ट फ्यूल सेल से चलने वाली बस या ट्रक में लगेगा।
उन्होंने ये भी दावा किया कि इस लो-कॉस्ट फ्यूल से माल ढोने वाले क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। आपको बता दें कि नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के तहत भारत सरकार लद्दाख के लेह क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हाइड्रोजन से चलने वाली बसों का परिचालन शुरू करने जा रही है।

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