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देखिए, चुनावी सरगर्मी के साथ कैसे बढ़ता है कर्मचारी संगठनों का तापमान…

अक्रामक आन्दोलन के मूड में आ चुके हैं कर्मचारी संगठन

अक्रामक आन्दोलन के मूड में आ चुके हैं कर्मचारी संगठन

लखनऊ। जैसे-जैसे चुनाव की तिथियां नजदीक आ रही हैं, दूसरी तरफ प्रदेश में कर्मचारियों और संगठनों द्वारा मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन व आन्दोलन की संख्या भी बढ़ रही हैं। संगठनों के विरोध प्रदर्शन , उग्र रूप धारण कर रहें हैं। मंगलवार 17 अगस्त को केजीएमयू में कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार व महामंत्री राजन यादव की आक्रामण शैली, केजीएमयू से मुख्यमंत्री आवास तक लेट कर जाने के तरीके ने , न केवल शासन-प्रशासन के अधिकारियों को अचंभीत कर दिया, बल्कि कर्मचारी नेता के साथ कर्मचारियों का जबरदस्त समर्थन देखकर, शासन-प्रशासन को मांगे पूरी करने का आश्वासन देना पड़ा। उसी क्रम में कैडरों का पुनर्गठन, वेतन समिति की संस्तुतियों, महंगाई भत्तों आदि कई मांगों को लेकर कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने भी आन्दोलन को जनमानस तक पहुंचाने का मन बना लिया है। इनका कहना है कि अगर, महंगाई के दौर में कर्मचारियों की मांगों पर गौर न किया तो, हम लोग जनमानस में जाकर, सरकार की पोल-पट्टी खोलेंगे और बताएंगे कि महामारी में हमलोगों ने सेवाएं दी, हमलोगों को हमारा हक नही दे रही है, प्रदेश सरकार।

प्रदेश की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण कर्मचारी नाराज

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक में मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि वेतन समिति की संस्तुतियों, महंगाई भत्ते की बकाया किस्तों के भुगतान करने का निर्णय न करने तथा विभिन्न कैडरों का केंद्र सरकार की भांति पुनर्गठन न करने, वेतन विसंगतियों को दूर न करने, राजकीय निगमों, स्थानीय निकायों के संवर्गों का पुनर्गठन न करने तथा उनकी मंगाई भत्ते को राज्य कर्मियों के बराबर न करने तथा घाटे के नाम पर कर्मचारियों के वेतन भत्ते ,सेवानिवृत्ति लाभ न देने, आउटसोर्सिंग-संविदा पर रोक तथा नियमित भर्ती एवं पदोन्नतिया न करने के कारण प्रदेश का लाखों कर्मचारी आक्रोशित है। भीषण महंगाई से त्रस्त कर्मचारी अब बड़ा आंदोलन करने के मूड में है। इस लिए सरकार को तत्काल कर्मचारी हित में निर्णय लेना चाहिये। श्री मिश्र ने बताया कि मोर्चा की मांगों पर यदि निर्णय न किया गया तो हम लोग बाध्य होकर आंदोलन करेंगे।
महामारी संकट में कर्मचारियों ने सेवाएं दी, आज कर्मचारी संकट में है तो कोई साथ नही
श्री मिश्र ने बतायाकि आंदोलन के प्रथम चरण में सभी विधायकों को ज्ञापन देकर मांगों पर निर्णय कराने का आग्रह किया जाएगा। इसके बाद ब्लॉक, पीएचसी, सीएचसी से लेकर मुख्यालय तक आंदोलन की घोषणा की जाएगी। मोर्चा जनता को भी बताएगा कि कोविड-19 की महामारी में जान पर खेलकर मरीजों की सेवा की है। स्वयं कई लोग दिवंगत हो गए हैं। उनके परिवार भीषण महंगाई से परेशान हैं। जब सरकार संकट में थी तब कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन देकर सहयोग किया था। अब जब कर्मचारी परिवार संकट में है तो प्रदेश सरकार उनके बकाया का भुगतान भी नहीं कर रही है। यहां तक की बीमारी के इलाज का रिम्बर्समेंट भी बंद है। इसलिए आंदोलन करने को विवश होना पड़ रहा है।

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