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सर्वाइकल कैंसर से चिंता मुक्त हो सकती हैं लड़कियां: प्रो.निशा सिंह

नवयुग कन्या महाविद्यालय में जागरूकता

लखनऊ। हृयूमन पपिलोमा वायरस से पनपने वाला सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में बहुत घातक हैं। यह कैंसर जितना घातक हैं बचाव •ाी उतना आसान है, बशर्ते महिलाएं जागरूक हों । उम्र दराज या मॉ बन चुकी महिलाओं को अपने साथ ही परिवार की लड़कियों को सर्विक्स कैंसर से बचाव का ख्याल रखना चाहिये। बचाव में कुछ खास नही करना है, केवल 11 से 15 वर्ष के मध्य लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन की दो डोज, 6-6 माह के अंतराल पर लगवाना होता है। यह बात बुधवार को नवयुग कन्या महाविद्यालय में विंदवासिनी ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित सार्वाइकल कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में क्वीनमैरी की प्रो.निशा सिंह ने, स्कूल की छात्राओं और शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए कही।

वायरस से सुरक्षा अपने हाथ में

प्रो.निशा  ने बताया कि यह संक्रामक रोग नही है, छुआ छूत से नही फैलता है। मगर हृयूमन पपिलोमा वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ फिजीकल रिलेशन बनाने पर पीड़ित होने की संभावना होती है। इसलिए  संबन्ध बनाते समय सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिये। 

जागरूकता के बाद भी कैंसर से ग्रस्त होना, चिंता का विषय है : श्रीमती संयुक्ता भाटिया

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि विडंबना है कि सरकार व चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बाद भी महिलाएं कैंसर के गंभीर अवस्था में अर्थात तीसरे या चौथे स्टेज में पहुंचने के बाद चिकित्सकों के पास पहुंचती हैं। उस समय, इलाज व निदान दोनो ही जटिल हो चुका होता है, फिर भी जीवन रक्षा में सफल इलाज किया जाता है, मगर किमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी आदि की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए सर्वाइकल कैंसर की चिंता से मुक्त होने के लिए अगर वैक्सीन नही लगवाई है तो वैक्सीन की दोनो डोज ले, अन्यथा लक्षणों पर ध्यान और समय समय पर अपनी जांच कराते रहें।

लड़कियों एवं महिलाओं को डाक्टर की सलाह माननी होगी : श्रीमती मंजुला उपाध्याय

नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती मंजुला उपाध्याय ने छात्राओं से कहा कि अगर सर्वाकल कैंसर से मुक्त भविष्य बनाना है तो डाक्टर की सलाह का पालन करना होगा। हम सभी को अपना ख्याल रखना होगा ओर समय रहते लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन की डोज लेनी होनी। इसके अलावा ज्यादा उम्र की लड़कियों व महिलाओं को घबराने की जरूरत नही है, 25 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को 5 से 10 के मध्य अपनी स्क्रीनिंग करना चाहिये। श्रीमती उपाध्याय ने कहा कि अगर शुरुआती चरण में ही कैंसर की पहचान हो जाये तो बिना नुकसान के इलाज संभव है और कैंसर मुक्त हुआ जा सकता है।

इस अवसर पर विंदवासिनी ट्रस्ट की श्रीमती साधना मिश्रा और श्रीमती रजनी शुक्ला ,डॉ.चौबे समेत तमाम लाग मौजूद रहें ।  

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