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एंटीबायोटिक दवाओं का अधूरा और अनियमित प्रयोग दे सकता है गंभीर बीमारियों को न्योता

वेबिनार में सभी दवाओं के रखरखाव, भंडारण की सही तकनीकी जानकारी, दवाओं के डोज तथा समय-समय पर परिवर्तित हो रहे प्रोटोकॉल पर हुई चर्चा

लखनऊ !  इलाज में एंटीबायोटिक औषधियों का अगर पूरा डोज नहीं लिया गया अथवा औषधियों का सही से उपयोग नहीं किया गया तो यह गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है क्योंकि इससे शरीर में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और टीवी के मरीजों के लिए यह अत्यंत घातक हो सकता है । इससे और भी गंभीर रोगों के होने का खतरा रहता है । उक्त बातें आज फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित एक वैज्ञानिक वेबिनार को संबोधित करते हुए स्टेट टीवी सेल उत्तर प्रदेश के स्टेट चीफ फार्मेसिस्ट राजेश सिंह ने कहीं ।

बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती

श्री राजेश सिंह ने बताया कि नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है, लेकिन फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है, डॉ हरलोकेश ने कहा कि डायबिटीज और एचआईवी के मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि यह ट्यूबरकुलोसिस के लिए एक बड़ा रिस्क फैक्टर होता है, इसलिए ऐसे मरीजों को नियमित रूप से अपनी जांच कराते रहना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्येक रोगी तक औषधियों के पहुंचाने के लिए पूरी सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम बना हुआ है ! प्रदेश के सभी 75 जिलों को चार ड्रग वेयरहाउस के रूप में बांटकर औषधियों का भंडारण किया जाता है । 

सुनील यादव

लगातार खांसी, रात को सोते समय पसीना, बुखार रहना और वजन का कम होना टीबी के लक्षण

फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि जनता को जागरूक करने में फार्मेसिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, फार्मासिस्ट जहां भी है वह रोगी खोजी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यदि किसी मरीज को 1 हफ्ते से अधिक खांसी आ रही है, रात को सोते समय पसीना आ रहा है, लगातार बुखार बना हुआ है और उसका वजन लगातार गिर रहा है तो ऐसे मरीज को टीबी की तत्काल जांच कराया जाना आवश्यक है ।

टीवी की दवाओं के सप्लाई चेन पर चर्चा

वेबिनार की अध्यक्षता फेडरेशन के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर हरलोकेश यादव एडिशनल प्रोफेसर एम्स ने की । वेबिनार में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर इरफान अजीज के साथ ही रामीश इंस्टिट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रदीप कांत पचौरी, सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ गणेश मिश्रा , डॉ रमेश एवं प्रदेश के विभिन्न जनपदों के फार्मेसिस्टो ने भागीदारी की । वेबीनार में टीवी के दवाओं के सप्लाई चेन पर विस्तृत चर्चा हुई, दवाओं के रखरखाव के संबंध में भी जानकारी दी गई । 

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