प्राचीन नगरी काशी लाखों दीयों की लौ से जगमगा उठी, श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध
प्राचीन नगरी काशी लाखों दीयों की लौ से जगमगा उठी, सामूहिक गंगा आरती ने श्रद्धालुओं को किया मंत्रमुग्ध

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह पहुंचे गंगा घाट, दीप पर्व का बने हिस्सा
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में काशी बना वैश्विक आस्था का केंद्र- जयवीर सिंह
लखनऊ:
विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली के पावन अवसर पर काशी ने एक बार फिर अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वैभव का अद्वितीय प्रदर्शन किया। श्देवताओं की दिवालीश् के नाम से विख्यात दीप पर्व बुधवार की शाम उस समय चरम पर पहुंच गया, जब गंगा के दोनों तट लाखों दीयों की रोशनी से जगमगा उठे। दुनिया का सबसे प्राचीन शहर मानो प्रकाश और भक्ति की दिव्य आभा में नहा उठा। इस भव्य आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं गंगा तट पर पहुंचे। मुख्यमंत्री के साथ पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह भी उपस्थित रहे।

देव दीपावली के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने गंगा तट पर दीप प्रज्ज्वलित कर इस अलौकिक पर्व की आस्था और दिव्यता को लाखों श्रद्धालुओं के साथ साझा किया। 15 लाख से अधिक दीयों के आलोक से काशी प्रकाशमय हो उठा। काशी वासियों के साथ देश-विदेश से पधारे पर्यटक भी इस अद्भुत प्रकाश उत्सव का हिस्सा बने। घाटों पर जले दीयों की अनगिनत पंक्तियों ने पूरी नगरी को दिव्य और आध्यात्मिक आभा से आलोकित किया।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में काशी आज वैश्विक संस्कृति, श्रद्धा और नवाचार की अग्रणी धुरी के रूप में स्थापित हुई है। लाखों दीपों से आलोकित घाट और नगर भर में की गई सामूहिक गंगा आरती ने नई ऊर्जा, एकता और नई भारत की सामूहिक भावना को साकार रूप दिया है। देव दीपावली का पर्व सांस्कृतिक गौरव, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और उत्कृष्ट आयोजन क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है।

देव दीपावली की संध्या काशी के समस्त घाट दीयों की रोशनी से जगमगा उठे। लाखों दीपों की सुसज्जित पंक्तियों ने गंगा के प्रवाह को मानों तारों की उजली धारा में बदल दिया। मंदिरों, घाटों और गलियों में की गई दीप सज्जा से पूरा शहर प्रकाशित हो उठा। नमो घाट, दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट और अस्सी घाट पर विशेष गंगा आरती का आयोजन किया गया। आरती के दौरान घंटों की ध्वनि, शंखनाद और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की बड़ी संख्या इस दिव्य आयोजन की साक्षी बनी।
काशी में इस वर्ष पहली बार मुख्य चार घाटों के अतिरिक्त गाय घाट, पंचगंगा घाट, दंडकारिणी घाट और तुलसी घाट सहित आठ प्रमुख घाटों पर सामूहिक गंगा आरती का आयोजन किया गया। इस एकीकृत आरती व्यवस्था ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक समन्वित और समावेशी अनुभव प्रदान किया, जिससे गंगा तट के किसी भी हिस्से पर मौजूद लोग दिव्य आरती के दर्शन से वंचित न रहें।
वाराणसी के 88 घाटों पर प्रकाश सज्जा और दीप प्रज्ज्वलन की जिम्मेदारी 83 स्थानीय समितियों और विभागीय दलों ने संभाली। घाटों पर लगभग 08 लाख दीपों की रोशनी जगमगायी, जबकि शहर के 97 प्रमुख स्थलों पर अतिरिक्त 02 लाख दीप प्रज्वलित किए गए। इसके अलावा, आम लोगों और श्रद्धालुओं ने भी दीप प्रज्ज्वलित किए। कुल मिलाकर 15 लाख से अधिक दीयों की एक साथ जगमगाहट ने संपूर्ण काशी की भव्यता को अविस्मरणीय बना दिया।
ग्रीस से वाराणसी पहुंची पर्यटक मेलिसा ने देव दीपावली के अद्भुत आयोजन पर अपनी भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्ऐसा आध्यात्मिक और दिव्य दृश्य पहले कभी नहीं देखा। एक साथ जलते लाखों दीयों से मानो ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे आसमान और धरती एक हो गए हों।श् मेलिसा ने घाटों पर गूंजते मंत्रोच्चार को जीवन का यादगार अनुभव बताया। कई अन्य देशों से आए पर्यटक भी देव दीपावली का हिस्सा बने। प्रकाश पर्व को अपने कैमरों में कैद किया।
देव दीपावली 2025 ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वाराणसी यूं ही दुनिया के चुनिंदा प्राचीन नगरों में से एक नहीं है। यहां की परंपरा दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करती है। रंग-बिरंगी प्रकाश सज्जा, स्वच्छ घाट और सांस्कृतिक आयोजनों ने सम्पूर्ण काशी को आस्था और उल्लास के भव्य मंच में बदल दिया। इस भव्य आयोजन में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन रवींद्र जायसवाल, जनप्रतिनिधियों, वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।


