अपोलो में मरीज शरीर को निष्प्राण करके मस्तिष्क की सर्जरी कर दिया नया जीवन
शरीर को डीप हाइपोथर्मिक कार्डियक अरेस्ट स्थिति में ले जाकर निकाला गया सारा खून
लखनऊ । अपोलोमेडिक्स हास्पिटल में चिकित्सकों ने, महिला मरीज के हृदय व फेफड़ों को हार्ट एंड लंग्स मशीन के जरिए रक्त आपूर्ति करते हुए पूरे शरीर से 30 से 35 मिनट के लिए पूरा खून बाहर निकाल दिया। रक्त के अभाव में मृत प्राय सुप्तावस्था में लेटी महिला के मस्तिष्क में डवलप हो चुके एन्यूरिज्म को खून आपूर्ति करने वाली नर्व को ब्लाक कर दिया। नर्व ब्लाक करने के साथ ही शरीर में खून की आपूर्ति शुरु कर दी और कुछ ही देर में खून का प्रवाह सामान्य हो गया और हृदय व फेफ डेÞ सामान्य रूप से सक्रिय हो गये। एन्यूरिज्म खत्म होते ही महिला मरीज के जीवन का संकट भी खत्म हो गया। यह जानकारी शनिवार को अपोलोहास्पिटल में जटिल सर्जरी करने वाले चिकित्सक डॉ.सुनील कुमार सिंह व अस्पताल सीईओ डॉ.मंयक सोमानी ने दी।
एन्युरिज्म को दोनों तरफ से क्लिप किया जाना जरूरी था
इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम के न्यूरो सर्जन डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया, मरीज की दोनों आंखों की रोशनी दो दिन के भीतर ही चली गईं। उस अवस्था मे जब उसकी गहन जांच हुई तो हुई तो मालूम पड़ा कि मष्तिष्क में एक बहुत बड़ा एन्युरिज्म डेवलप हो चुका था। जो उसकी आंखों की नर्व्स को दबा रहा था, जिससे आंखों की रोशनी चली गई थी। एन्युरिज्म को दोनों तरफ से क्लिप किया जाना जरूरी था ताकि एन्यूरिज्म वाले स्थान को ब्लड सप्लाई को रोका जा सके। ब्लड सप्लाई रुकने से यह एन्यूरिज्म स्वयं ही पिचक कर सामान्य स्थिति में आ जाता और आर्टरीज का गुच्छा खत्म हो जाता। दोनों तरफ से रक्तप्रवाह रोकने के लिए नर्व की क्लीपिंग कर दी, लेकिन उसके बावजूद इस गुच्छे में रक्तप्रवाह हो रहा था। गुच्छा इतना बड़ा था कि उसके आसपास रक्तप्रवाह करने वाली आर्टरी को ढूंढना असंभव हो गया।
उन्होंने बताया कि इसके लिए डॉ.भरत दुबे की सलाह पर मरीज के शरीर में रक्त के प्रवाह को पूरी तरह रोकने का निर्णय लिया। इसके लिए शरीर को डीप हाइपोथर्मिक सकुर्लेटरी अरेस्ट की स्थिति में लाया गया, इसके बाद शरीर से पूरा खून बाहर निकालकर, विशेष नर्व की तलाश कर क्लीपिंग की। एनुरिज्म खत्म होते ही आंखों की रोशनी भी वापस आ गई और मरीज तेजी से सामान्य हो रही है। एमडी व सीईओ डॉ मयंक सोमानी ने बताया,इस जटिल सर्जरी में 50 डॉक्टर्स और पैरामेडिक्स की टीम को लगभग 48 घण्टे का समय लगा। उन्होंने बताया कि अभी तक इस तरह की जटिल सर्जरी सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही मुमकिन थी ।