ब्रेस्ट कैंसर इलाज के साथ ही गर्भधारण की संभावनाओं पर ध्यान देना जरूरी: डॉ.आनन्द मिश्र
लखनऊ। ब्रेस्ट कैंसर का पता चलते ही पति हो या पिता, सभी महिला का जीवन बचाने के लिए कैंसर के इलाज में तत्परता दिखाते हैं, मगर ब्रेस्ट कैंसर ठीक होने के बाद महिला द्वारा गर्भधारण करने की जरूरतों पर ध्यान नही देते हैं। इसके लिए रोगी महिला के परिवारजनों को महिला के अंड़ों को रिजर्व करा लेना चाहिये, ताकि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद, महिला द्वारा गर्भधारण किया जा सके। यह जानकारी केजीएमयू में इंडोक्राइन सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘ ब्रेस्ट कैंसर अपडेट’कार्यशाला में डॉ.आनन्द मिश्र ने दी।
ओवरी,हार्मोन्स समेत एंटी मलेरियल्स टेस्ट आदि कराए जाते हैं
शताब्दी अस्पताल के फेज टू में आयोजित कार्यशाला में डॉ.मिश्र ने बताया कि कैंसर कोई भी हो, किमोथेरेपी व रेडियाथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है। उक्त इलाज से शरीर में कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं। दुष्प्रभावों में महिलाओं में हार्मोनल समस्याएं भी आती हैं, जिसकी वजह से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद कई महिलाओं में गर्भधारण की समस्या आ जाती है। इसके लिए रोगी महिला के परिवारजनों को गर्भधारण की चर्चा पहले ही चिकित्सक से करनी चाहिए। ताकि महिला में ओवरी,हार्मोन्स समेत एंटी मलेरियल्स टेस्ट आदि कराए जाते हैं, जिससे ज्ञात हो जाता है कि महिला में कितनी बार गर्भधारण की संभावनाएं हैं, आवश्यकता होने पर अंड़ो को सुरक्षित कर लिया जाता है, जोकि समय आने पर फर्टीलाइज कराकर गर्भधारण किया जा सकता है। कार्यशाला में आयोजन सचिव डा.कुलरंजन ने बताया कि विकसित देशों में बे्रस्ट कैंसर की औसतन उम्र 55-56 वर्ष है, जबकि भारत में 44-46 वर्ष की महिलाओं में अत्यधिक पाया जाता है। लगभग 30 से 35 वर्ष की आयु की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद गर्भधारण की समस्या प्रमुख समस्या उभरती है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन, शनिवार को ब्रेस्ट की सुन्दरता बरकरार रखते हुए ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी की विभिन्न तकनीक पर चर्चा की जायेगी, उन्होंने बताया कि पूर्व में कैंसर की सर्जरी सर्जन द्वारा की जाती रही है और ब्रेस्ट की सुडौलता के लिए प्लास्टिक सर्जन होते थे, मगर अब केजीएमयू में एक ही इंडोक्राइन सर्जन द्वारा पूर्ण सर्जरी संपन्न होती है।