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लंपी स्किन डिसीज कार्तिक मेला में पशुओं की नहीं होगी खरीद-फरोख्त



लखनऊ। पश्चिम उत्तर प्रदेश में शनिवार से शुरु हुये कार्तिक मेले में इस बार गाय और भैंस की बिक्री नहीं होगी। हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में गंगा किनारे लगने वाले कार्तिक मेले में पशुओं की प्रदर्शनी के साथ ही खरीद-फरोख्त भी होती है,लेकिन लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने यह निर्णय किया है। हापुड़ जिलाधिकारी द्वारा आसपास के जनपदों को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया है कि विपणन को लेकर पशुओं के साथ ही मेले में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। जिसकी वजह से मेला में पशु व्यापारियों की आमद बहुत कम रही।

पश्चिमी उप्र में पशु विपणन का होता है बड़ा आयोजन ‘ कार्तिक मेला

पश्चिम उत्तर प्रदेश में पशुओं के मेला व प्रदर्शन को लेकर पशु चिकित्सक डॉ.विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलने की प्रबल संभावना है। यह बीमारी गाय-भैंसों के साथ-साथ घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट एवं हिरन प्रजाति के पशुओं को भी प्रभावित करती है। शनिवार 29 अक्तूबर से गढमुक्तेश्वर में गंगा किनारे स्नान व मेले में सभी पशुओं के विपणन पर रोक लगायी गई है। लोगों से अपील की गई है कि वे गंगा स्नान मेले में किसी भी घोड़े, गधे, खच्चर, गाय, बैल व भैंस को न ले आएं। ऐसी किसी भी प्रदर्शनी का आयोजन भी नहीं कराया जाएगा।

हापुड़ जिलाधिकारी मेधा रूपम ने सीमावर्ती आसपास के तमाम जिलों को पत्र भेजते हुए कहा कि पशु को लेकर आने वाले किसी भी व्यक्ति को मेला में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, साथ ही जुर्माना लगाते हुए सख्त कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

लक्षण
डॉ.पाण्डेय ने बताया कि लंपी बीमारी से पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले व घांव हो जाते हैं। पशु को तेज बुखार बना रहता है और वो चारा खाना बंद कर देते हैं। पशुओं में गर्भपात हो जाता है। पशु बांझपन के शिकार भी हो जाते हैं। ये बीमारी तीन से छह सप्ताह तक बनी रहती है। इलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में तीन से चार माह लग जाता है।

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