सपा व भाजपा के बाहरी प्रत्याशियों से ठाकुर गुटबाजी में फंस गई सरोजनी नगर सीट
रोचक होगा सरोजनी नगर चुनाव प्रचार
लखनऊ। दलित और ओबीसी बाहुल्य सरोजनी नगर सीट, पर सपा व भाजपा द्वारा नये प्रत्याशी उतार देने से समीकरण अचानक बदल गये हैं। सपा ने ब्राम्हण प्रत्याशी, अभिषेक मिश्र को उतारा है, जबकि भाजपा ने बडेÞ ओहदेदार सरकारी नौकरी छोड़कर आये डॉ.राजेश्वर सिंह पर दांव चला है। दोनो ही प्रत्याशी, क्षेत्र के मतदाताओं के लिए नये हैं। मगर जातिवादी रूझान को देखें तो, इन दोनों के भविष्य का फैसला बसपा व कांग्रेस के प्रत्याशी करेंगे। क्योंकि क्षेत्र में ठाकुर मतदाताओं के कई गुट क्षेत्र में सक्रिय हैं और सभी अपने नेता को ही जिताना चाहते हैं, मगर पार्टियों ने टिकट नही दिया।
सबसे ज्यादा मतदाता दलित वर्ग यानि एससी-एसटी
सरोजनी नगर विधानसभा सीट में जातिवार मतदाताओं पर गौर करें तो सबसे ज्यादा मतदाता दलित वर्ग यानि एससी-एसटी के 1,75000 हैं और दूसरे नंबर पर 1.5 लाख मतदाता ओबीसी हैं। सवर्ण मतदाता लगभग 1.25 लाख हैं, इनमें से 75 हजार मतदाता ठाकुर और 50 हजार ब्राम्हण मतदाता हैं। इन्हीं ठाकुर व ब्राम्हण मतदाताओं को केन्द्र में रखकर, सपा,कांग्रेस व भाजपा ने ब्राम्हण व ठाकुर प्रत्याशी उतारे हैं। जबकि बसपा ने 30 हजार मुस्लिम और 1.75 लाख दलित मतदाताओं के संयुक्त समीकरण को देखकर, मुस्लिम प्रत्याशी मो.जलीस खान को मौका दिया है। स्थानीय राजनीति पर गौर करें तो मुख्य लड़ाई सपा व भाजपा में हैं, मगर दोनो ही दलों के प्रत्याशी स्थानीय नही हैं इसलिए प्रत्याशियों की छवि का प्रभाव नही पडेÞगा।
ठाकुरों की गुटबाजी भी …
दूसरी तरफ कांगे्रस के रूद्र दमन सिंह (बबलू) और बसपा के जलीस खान, के प्रभाव को नकारा नही जा सकता है। क्षेत्र में ठाकुरों की गुटबाजी भी इलेक्शन में नजरअदांज नही किया जा सकता है। बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतार कर, अपने पुराने प्रत्याशी शिव शंकर सिंह (शंकरी) के ठाकुरमतदाताओं को नाराज कर दिया है। इसके अलावा वर्तमान भाजपा विधायक श्रीमती स्वाती सिंह और उनके पति दया शंकर सिंह के नेतृत्व में संगठित ठाकुर मतदाताओं को भी देखना होगा कि , भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में कितना झुकता है। लिहाजा, ठाकुर मतदाताओं के एक गुट की नाराजगी किस (सपा या भाजपा) जिताऊ प्रत्याशी के खाते में जायेगी है? परिणाम प्रभावित होने की संभावनाओं से नकारा नही जा सकता है।
मुस्लिम मतदाता उसे ही वोट देता है जो भाजपा को हरा सकता है
वहीं क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि मुस्लिम मतदाता उसे ही वोट देता है जो भाजपा को हरा सकता है अर्थात मुस्लिम मतदाता सपा प्रत्याशी को मतदान करने में अधिक रूचि लेने की संभावना है। मगर, स्थानीय और जुझारू नेता के रूप में स्थापित हो चुके मो.जलीस खान की मुस्लिम मतदाताओं के साथ दलितों में लोकप्रियता को कमतर नही आंका जा सकता है। मुस्लिम और दलित के समीकरण को जोड़ते हुए अर्थात 2.05 लाख मतदाताओं की बड़ी संख्या पर दावेदारी करते हुए बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। देखना होगा कि क्षेत्र में विजय का ताज किस के सिर सजेगा।