एक शिक्षक के भरोसे दो मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहें यूजी प पीजी मेडिकोज
मान्यता बचाने को मेडिकल कॉलेज में तबादला बना दस्तूर
राज्य ब्यूरो,लखनऊ। प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों में बिना शिक्षक मेडिकोज पढ़ रहें हैं और डिग्रियां बट रहीं हैं। इस काम में कोई अड़चन न आए, इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी पूरा सहयोग कर रहें हैं। आलम है कि जिस कॉलेज में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का निरीक्षण होना होता है, उस कॉलेज में दूसरे मेडिकल कॉलेज के शिक्षक की पोस्टिंग कर मानक पूरे कर, मान्यता प्राप्त करने का खेल रहें हैं।
मामला, मेरठ व सराहनपुर के मेडिकल कॉलेजों का हैं, एक ही शिक्षक के भरोसे दोनो कॉलेज में मान्यता मिली हैं। करीब एक साल पूरा होने वाला है, मेरठ मेडिकल कॉलेज में रेडियोडाग्नोसिस विभाग बिना चिकित्सक व शिक्षक के चल रहा है। मरीजों की जांच ही नहीं, एमबीबीएस व परास्तानक(पीजी) के मेडिकोज भी झांसे की दवा से अपना भविष्य खराब कर रहें हैं। अब निकट भविष्य में नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) द्वारा निरीक्षण की नौबत आई तो कॉलेज प्रशासन ने, अपने यहां से ट्रांसफर हुई एक शिक्षिका को दोबारा वापस बुलाने की मांग कर रहा है।
मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने, शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया हैकि मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीटों से बढ़ाकर 150 व 200 सीटें किए जाने का प्रस्वाव दिया गया है। जिसके निरीक्षण के लिए एनएमसी की टीम आने वाली है। दो परास्नातक की परीक्षाएं सन्निकट हैं। गाइड के अभाव में परास्नातक में एमडी और डीएमआरडी (रेडियोडायग्नोसिस) की मान्यता रद्द होने की कगार पर है। कॉलेज में अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों मे एमबीबीएस एवं पीजी पाठ्यक्रम का पूरा ढ़ांचा बिगड़ सकता है।
हकीकत जाने ,पढ़ाई को नहीं, निरीक्षण के लिए रखे जाते हैं शिक्षक
ला.ला.रा.मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग में एक शिक्षिका कार्यरत थी, जिसका साल 2018 में सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में तबादला कर दिया गया था। इसके बाद मेरठ में फिर से निरीक्षण की बात आई तो उक्त शिक्षिका को दोबारा 2019 में, मेरठ मेडिकल कॉलेज में संबद्य कर दिया गया । जरूरत पड़ने पर अप्रैल 2022 को फिर से उक्त डॉक्टर को स्थाई रुप से सहारनपुर मेडिकल कॉलेज भेजा दिया गया है। जिसके बाद से मेरठ मेडिकल कॉलेज का यह विभाग बिना विशेषज्ञ(शिक्षक) के दवाई और पढ़ाई देने का झांसा दे रहा है।
कॉलेज में पद
ला.ला.रा.मे.का. के रेडियोडायग्नोसिस विभाग में एक प्रोफेसर(आचार्य) समेत छह पद हैं। इन पदों में दो एसोसिएट प्रोफेसर(सह आचार्य) व तीन असिस्टेंट प्रोफेसर(सहायक आचार्य) के पद हैं और दुर्भाग्य वश सभी सीटें खाली हैं। कॉलेज प्रशासन ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है कि अगर शिक्षिका की वापसी न हुई तो रेडियोडायग्नोसिस विभाग की मान्यता संकट में पड़ सकती हैं।
कॉलेज में रेडियोडायग्नोसिस विभाग की सुविधाएं
विभाग में एमडी और डीएमआरडी (रेडियोडायग्नोसिस) दो पाठयक्रम चल रहे हैं। यूपी व पीजी के छात्रों को शिक्षा मिलना बंद हो चुकी है। पीसीपीएनडी एक्ट के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल रहीं हैं। और शिक्षा प्राप्त कर रहें मेडिकोज झांसे की पढ़ाई कर रहें हैं।